Mohit Pandey   (अनकहे शब्द)
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Leo
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Joined 26 December 2016


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5 OCT 2019 AT 18:29

वो एक किताब में रखे गुलाब की तरह है
रोज़ न देखूँ उसे तो वो भी मुरझा जाएगी

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8 OCT 2017 AT 13:25


रिश्तों की पगडंडी पर
गर चल कर दिखाना हो
बिखरे पड़े अपनों को
गर फिर से मिलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं।

धूमिल होती किरणें आफताब की
और यारों को घर बुलाना हो
उन तस्वीरों को फिर से
हक़ीक़त बनाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं

सो जाऊंगा एक दिन मैं
फिर कभी ना उठ जाने को
अफसोस रहेगा इस जल्दबाज़ी का
क्योंकि, हमेशा देर कर देता हूँ मैं

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9 APR 2017 AT 10:14

चाय का कप हाथों में अखबार होता था
हमारा भी कभी ऐसा इतवार होता था

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4 MAR 2017 AT 20:49



हर्फ़ दर हर्फ़ जो शब्द तुम उकेरती थी
खो गए है अलफ़ाज़, तरन्नुम अच्छी नहीं लगती

बिक गया है इंसान , ईमान नहीं प्यारा उसको
दिन बर दिन गिरती ये सियासत अच्छी नहीं लगती

मोहब्बत अब सिमट गई है जिस्मानी चाहतों में
चौराहे पर भटकती हवस अच्छी नहीं लगती

पहली ही तनख्वाह से खरीदूंगा दुपट्टा सूती
माँ की मैली ओढ़नी अब अच्छी नहीं लगती

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2 JAN 2017 AT 22:54

दर्द भी देते हो, मरहम भी लगाते हो
कहते क्यों नहीं मुझसे मोहब्बत है

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30 DEC 2016 AT 9:15

आओ चलें ऐसी जगह, जँहा थोड़ी फुर्सत मिले
कुछ तुम्हारे लिए, कुछ मेरे लिए, कुछ हमारे लिए.

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26 DEC 2016 AT 21:51

She- Whenever you need someone to talk,
I am just a phone call away.

After some days,
He- Hey, how are you? I want to talk.
She- I am busy, we will talk later.

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20 SEP 2019 AT 10:15

ज़िन्दगी की दौड़ में जब कमाने के बहाने निकल आये
हम माँ को किसी दूसरे शहर में अकेला ही छोड़ आये

भूख लगी है या तबियत खराब है ये कौन पूछता है
हम दुआएं साथ ले आये, दवाएं घर पर ही छोड़ आये

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20 NOV 2018 AT 0:56

शीर्षक- "बच्चा ही अच्छा था माँ मैं"

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10 OCT 2018 AT 19:17

सबसे लड़कर लौटा हूँ
खुद से झगड़ना बाकी है

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