वो एक किताब में रखे गुलाब की तरह है
रोज़ न देखूँ उसे तो वो भी मुरझा जाएगी-
Silent observer
Blow candles on 26 november
amateur writer
Mature reader
रिश्तों की पगडंडी पर
गर चल कर दिखाना हो
बिखरे पड़े अपनों को
गर फिर से मिलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं।
धूमिल होती किरणें आफताब की
और यारों को घर बुलाना हो
उन तस्वीरों को फिर से
हक़ीक़त बनाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
सो जाऊंगा एक दिन मैं
फिर कभी ना उठ जाने को
अफसोस रहेगा इस जल्दबाज़ी का
क्योंकि, हमेशा देर कर देता हूँ मैं-
हर्फ़ दर हर्फ़ जो शब्द तुम उकेरती थी
खो गए है अलफ़ाज़, तरन्नुम अच्छी नहीं लगती
बिक गया है इंसान , ईमान नहीं प्यारा उसको
दिन बर दिन गिरती ये सियासत अच्छी नहीं लगती
मोहब्बत अब सिमट गई है जिस्मानी चाहतों में
चौराहे पर भटकती हवस अच्छी नहीं लगती
पहली ही तनख्वाह से खरीदूंगा दुपट्टा सूती
माँ की मैली ओढ़नी अब अच्छी नहीं लगती-
दर्द भी देते हो, मरहम भी लगाते हो
कहते क्यों नहीं मुझसे मोहब्बत है-
आओ चलें ऐसी जगह, जँहा थोड़ी फुर्सत मिले
कुछ तुम्हारे लिए, कुछ मेरे लिए, कुछ हमारे लिए.-
She- Whenever you need someone to talk,
I am just a phone call away.
After some days,
He- Hey, how are you? I want to talk.
She- I am busy, we will talk later.-
ज़िन्दगी की दौड़ में जब कमाने के बहाने निकल आये
हम माँ को किसी दूसरे शहर में अकेला ही छोड़ आये
भूख लगी है या तबियत खराब है ये कौन पूछता है
हम दुआएं साथ ले आये, दवाएं घर पर ही छोड़ आये
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