14 FEB 2019 AT 8:53

बेजान सा पत्थर भी नही है,
तो कोई फरिश्ता या पयम्बर भी नही है,
तू इल्म का चश्मा या समंदर भी नही है,
पर रब की निगाहों में तू कमतर भी नही है।
जो कुछ भी है तू अपने हदो को पहचान,
रहमान की पकड़ से तू बाहर भी नही है,
दुनिया न बसा दिल मे के दुनिया की हकीकत
किसी मच्छर के पंख के बराबर भी नही है।

- डॉ. अल्लामा इक़बाल।

- !म0@aशु