मनोज   (m|ᐸᕲ ©)
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Joined 24 May 2018


Joined 24 May 2018
24 MAR AT 11:50

तुम्हे क्या कहना था क्या न मुझे कुछ समझ नही आया,
लम्बा था सफ़र छांव लेने कोई दरखत नजर नही आया।

तेरी यादों का सहारा लिए भटक रहा हूं जाने कब से,
जाने क्यों राह में मेरी वो तेरा दर तेरा शहर नहीं आया।

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15 AUG 2023 AT 20:28

विंध्य, हिमालय का विस्तार लिए
बोली वेशभूषा भाषा हज़ार लिए।
जला रहा ज्ञान दीप युगों युगों से
वसुधैवकुटुम्बकम् का प्रचार लिए ।।

कण कण जिसके बसे अपनापन
शाम सवेरे शुर-गाथा सुने बचपन।
भुजाओं में जिसकी जग सिमटा
उस मां भारती को बारंबार नमन।।

आज़ादी पाने तिरंगा हाथ लिए
जन जन की टोली साथ लिए।
लड़ गए भिड़ गए हर तूफानों से
हृदय में बस जुनूनी जज़्बात लिए।।

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29 JUL 2023 AT 22:17

दिल में दर्ज़ एक नाम शाम और सहर बन आया,
था जो कभी अजनबी आज हमसफर बन आया।

गुजारा हर पल उल्फत में कुछ यूं उसके संग,
जब देखा आईना उसमें वो मेरी नजर बन आया।

ख्वाब ठहरे थे अधूरे जो मुकम्मल होने को कभी,
मिला आसमां उन्हें वो चांद सा असर बन आया।

चांद सा वो रोशन रहा काली घनी मेरी रातों में,
जो रात बीती वो साथ मेरे मेरा सहर बन आया।

खता नहीं है हमदम तुम्हें बेशुमार चाहते रहना,
जिंदगी है तुमसे रोशन इश्क इस कदर बन आया।

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3 APR 2023 AT 11:09

ख्यालों में पिरोता तुम्हें मैं
चपल चंचल मासूम छवि,
मधुर गुंजन सप्तरंग जैसे
लिखता पढ़ता बन के कवि।
(अनुशीर्षक)

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13 MAR 2023 AT 21:21

चलते चलते यूँ ही आज एक नज़र उसे देखा,
कदम ले गए फिर जहाँ जिस डगर उसे देखा।

मत पूछो शाम और सहर, कब किस किस पल,
मैंने बस हर पल, हर घड़ी, हर पहर उसे देखा।

उस पर क़यामत यह कि है वो ख़ूबसूरत इतनी,
कि एक रोज़ चाँद ने चुपके से निखर उसे देखा।

ज़बाँ ने जब कुछ कहा, हमने कहाँ कुछ सुना,
दिल से बाज़ी हारकर, हमने बेखबर उसे देखा।

पूछा नज़रों ने आईने में देख 'मन' यह तुम नहीं,
किया ख़ुद में शामिल उसे, इस कदर उसे देखा।

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8 MAR 2023 AT 22:49

यह नहीं सिर्फ़ कुछ लम्हों की बात है,
रंगों की आज हुई रंगो से मुलाक़ात है।

चूनर ओढ़ ली रंग बिरंगी प्रकृती ने,
भ्रमर गुँजन, तितलियों की बारात है।

दामन था कल तलक जो सूना सूना,
हँसती महकती हर सू आज हयात है।

पूर्ण चंद्र, लगा सितारों का जमावड़ा,
आसमां है रोशन, चाँदनी भरी रात है।

गुल चम्पा कनेर खिले गुलशन गुलशन,
इतराते गुलाब छाई शबनमी बरसात है।

गुलाल अबीर हवाएं उछालते झलकाते,
खिला खिला जर्रा जर्रा हसीं लम्हात हैं।

सौगात लेकर आई होली रंगो से भरी,
खुशनुमा हर पल खुशनुमा दिन रात है।

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7 MAR 2023 AT 22:21

पखेरू का प्रण

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6 MAR 2023 AT 21:49

समाया मैं ही घट घट कण कण
बैठा मैं भूधर, मैं अविनाशी हूँ।
हूँ मैं अघोर, रूद्र रूप घनघोर
हूँ मैं ही देवदेव, मैं सन्यासी हूँ।।

मेरे नाम से गुँजायमान संसार
हूँ आदि अनंत, मै नभ विस्तार।
यह चँद्र यह सूरज उगाया मेरा
बैठा मैं केदार, बैठा मैं काशी हूँ।।

कंचन थाल लाकर धरा धरा पर
तरु तरु सुहासित पुष्प खिलाकर।
करूँ ताँडव तन भश्म लगाया मेरा
हूँ मैं अनन्त, मैं ही अविनाशी हूँ।।

स्वयं में खोज नादान मुझको
हिय मन बैठा बस मै मिलूंगा।
सारा जग बनाया सजाया मेरा
बैठा मैं केदार, बैठा मैं काशी हूँ।।

जब झलका गरल का प्याला
तब पीकर मैंने किया उजाला।
धूप छाँव का खेल बनाया मेरा
हूँ मैं ही देवदेव, मैं सन्यासी हूँ।।

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5 MAR 2023 AT 19:37

सनम मेरे कितने करीब हो तुम,
सनम मेरे, मेरा नसीब हो तुम।

ख़ाक है यह दौलत ओ शोहरत,
ज़िन्दगी है जन्नत करीब हो तुम।

इश्क़ की मंज़िल अब कहाँ दूर,
मेरा हमसफ़र ओ हबीब हो तुम।

मोहब्बत में तुम सजना संवरना,
हंसना ओ गाना अंदलीब हो तुम।

पाकर तुम्हें साँसें मेरी कह रही,
'मन' बड़े ही खुश नसीब हो तुम।

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8 JAN 2023 AT 11:24

भक्ति की शक्ति

जय जगदेव जय महादेव
स्वामी अंतर्यामी देवोदेव।
अनन्त आधार एकाकार
तीन लोक तेरा जयकार।।

कर अपनी कृपा हम पर
आदियोगी हे शिव शंकर।
दुख पार लगा कर सबके
मालिक भर सुख सरवर।।

तिरोहित कर जग अंधियारा
कण कण में फैला उजियारा।
विनती करू कि करू अरदास
तुम मालिक, हम सेवक दास।।

क्यों कोई रोए क्यों कोई खोए
सुमिरन से तेरे धरा अमृत बोए।
बिन तेरे सुना घर आंगन द्वारा
तेरी सेवा मन खड़ा हाथ पिरोए।।

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