जिंदगी ने बनाए इस पत्थर को तुम तराश लेना,
ढल जाऊंगा किसी दिन बस तुम ढालते रहना,
किसी झरते नीर सा बहते रहना तुम मुझपर,
देखना गिली मिट्टी से भी नर्म हो जाऊंगा,
रच देना तुम कोई रूप रचनाकार बनकर,
संवर जाऊंगा मैं तुम बस आकार देना।
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बाते कुछ सुनी कुछ अनसुनी,
बाते कुछ मेरी कुछ आप कि।
यू तो में रास्ता नहीं भटकता,
पर न जानें क्यों मंजिल हमेशा भूल जाता हुं।-
अक्सर कहते है लोग कि आईना सच बोलता है,
वहीं दिखाता है जो सच होता है,
इतना भी बारिकियों से खुदको निहारा ना किजिए,
हमें डर है के कही तुम्हें खुद हि से प्यार ना हो जाए।-
आग लगाना नहीं जानते थे तो लगाई ही क्यों?
दिल कि लगी नहीं पहचानते थे तो बेकरारी बढाई ही क्यों?
यु तो बहोत कहलाते फिरते थे किस्मत के सौदागर तुम,
इश्क कि सौदेबाजी नहीं जानते थे तो बोली लगाई ही क्यों?-
हां, पता है मुझे ये प्यारी बातें, ये मुलाकातें हर रोज तो किसी रिश्ते में नही होती,
ये लड़ाई-झगड़े, ये रुठना-मनाना तो हर रिश्ते में लाज़मी है,
आज भले ही तुम मस्त मगन हो मुझमें, इस रिश्ते कि गहराइयों में,
मगर एक दिन ऐसा भी होगा जब तुम्हें मुझमें कमियां नजर आएंगी,
एक दिन आएगा जब तुम्हारे दिल में मेरे लिए तकरारें बढ़ने लगेगी,
अगर खफा हो तुम कभी मुझसे तो बेझिझक मुझे बता देना,
बात ना हि करो भले मुझसे बस किसी तरह तुम ये जता देना,
यु दिल में कुछ रखकर जबरदस्ती मेरा हाथ ना थामें रखना,
साथ चलकर मेरे तुम मन में कोई सवाल न रखना,
मगर सुनो, ये दुरियां बनाने की मोहलत बस कुछ ही दिनों के लिए,
रिश्ते में हमारी सहुलियत बस तुम्हारे मिजाज (Mood Swings) के लिए।-
कहती हैं पसंद है उसे; वो तो सबकुछ खा लेता है,
कही भी भेजों अपने आप को वो खुदबखुद ढा लेता है,
अब उसे कौन बताए उसके हाथों से बनाई हर चीज है मुझे भाती,
बहुत भोली है मेरी मां जिससे कही झुठी बात भी उसे समझ नहीं आती।-
ना जाने कैसा मोड है ये जिंदगी का,
जहा शोर तो बहोत है मगर बात किसी के कानों को सुनाई नहीं देती,
जहा भीड तो बहोत है लेकिन उस भीड़ में मुलाकात किसी अपने से नहीं होती,
निकल तो पडे थे कुछ सवालों के जवाब ढूंढने कई दिनों पहले,
मगर अब तो वो सवाल भी याद नहीं है।-
वो तो शातिर कातिल था जो भरें बाज़ार में कत्ल कर गया,
मासुम इस दिल का गुनाह ना समझ आया हमें,
कत्ल भी उसका हुआं और वही कसुरवार बन गया।-
माना के इस मुखड़े के, इस नज़र के मुहताज तो कई दिवाने होंगे,
मगर जुल्फ़ों से निकलकर ये लट तुम्हारी जब भी चेहरे पर आती हैं,
जिसे संवरती हुएं तुम कानो के पिछे लाकर उस झुमके को हल्का-सा छुं जाती हो,
ऐसा लगता है जैसे मानों सिने में छिपे इस मासुम दिल पर ये जिंदगी मेहरबा हो।-
हाय, इतनी सारी तस्वीरें तुम्हारी न जाने कबसे कैद है इस अल्बम में,
जितना देखूं इन तस्वीरों को ये दिल उतना ही बेकरार हो जाता है,
जितना सोचु तुम्हें मै; न जाने क्यो उतना प्यार फिरसे बढ जाता है,
कैसी है ये दिवानगी ए दिल तु और बस तेरी धड़कन जाने,
मुझे तो बस उसे याद करना और उसी में खोना आता है।-