जा घट प्रेम न संचरै, सो घट जान मसान।
जैसे खाल लोहार की, साँस लेत बिनु प्रान।
~संत कबीरदास
जिस जीव के हॄदय में प्रेम नहीं होता, वह श्मशान के समान सूना, भयावह और मॄतप्रायः होता है। ऐसे प्राणी में प्राण तत्व का पाया जाना उसके जीवित होने का प्रमाण है। लुहार की खाल में जो चमड़ी होती है वह मॄत पशु की होती है फिर भी वह साँस लेती है। शरीर धर्म का पालन किए जाने पर भी
प्रेमहीन जीवित व्यक्ति मॄत के समान होता है।
प्रेम ही जीवन है।
मानव सॄष्टि का मूलाधार प्रेम है।- •
11 FEB 2019 AT 9:23