" होने थे जितने खेल मुकद्दर के, हो गए
हम टूटी नाव ले के समंदर के हो गए,
खुशबू हमारे हाथों से छूकर गुज़र गई,
हम सबको फूल बांट के पत्थर के हो गए"-- Michael
13 MAR 2018 AT 20:38
" होने थे जितने खेल मुकद्दर के, हो गए
हम टूटी नाव ले के समंदर के हो गए,
खुशबू हमारे हाथों से छूकर गुज़र गई,
हम सबको फूल बांट के पत्थर के हो गए"-- Michael