Me....   (Subha ✒️..)
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It's me😇
Joined 30 October 2020


It's me😇
Joined 30 October 2020
26 SEP AT 4:29

You don't like
And I don't care anymore...


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25 SEP AT 6:09

ढलते उम्र केलिए
वहां अक्सर अकेले जाना पड़ता है
लंबी राह पर रिश्ते डगमगा जाते
कुछ रूठते, कुछ छूटते जाते हैं

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25 SEP AT 3:54

पल गुज़र कर यादें बनते हैं, और लोग बिछड़ कर एहसास।
कुछ उपकरण अपने उम्र के साथ, अपनी कीमत बढ़ा लेते हैं
और कुछ लोग – वक़्त के साथ दिल में गहरे उतर जाते हैं

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25 SEP AT 3:29

मुझे सताती रही
कुछ मीठे कुछ खारे मोहब्बत जताती रही
वो सपना नहीं एहसास था तुम्हारा
नींद में ही सही में तेरे संग जी रही
वो रात बड़ी लंबी सी थी...
या फ़िर रोशनी से दूर हो रही थी
मगर शिकायत कोई नहीं
में तो अपना ख्वाब सी जी रही थी!!

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20 SEP AT 4:49


शायद बड़ा होकर ही मैंने बचपन जिया
ये भी एक सपना था,
कुछ करने का वादा बस अपना था।
अब इसे बचपना मत कहना तुम,
कभी मन करे तो
मेरी छत पे जड़े चांद-सितारे देख लेना
मगर हँसना मत तुम।
तुम्हारे लिए शायद कोई मतलब न हो,
पर मेरे लिए
वो मेरा सपना था।
वो दौर,
आधा-अधूरा, जैसा भी था
सब कुछ मेरा अपना था।

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12 SEP AT 12:14

उस प्यारा सा घर को
चार दीवारों का मकान बनते देखा
मां, तुम्हारे बाद
मेरी हर कोशिश नाकाम रही
हर सपने बिखरते रहे
तुम्हारे गुजरने के बाद
ये दीवारों की थकान भी महसूस करती हूं
रंगीन फुलों को बेजान सा देखती हूं
तुम्हारे स्पर्श के बिना
मां वो घर चार दीवारों का मकान बना

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25 AUG AT 22:13

आंसू के धार को
जो काजल बहा कर ले गया अपने संग
वरना मैने तो कब से संभाल रखे थे
कुछ मन में बाकी पलकों में

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25 AUG AT 22:09

लेखक
मन के भीतर शब्दों के युद्ध में जीत हासिल करता
फिर कलम के धार में भावनाओं को बहाकर ख़ुद हार जाता

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25 AUG AT 19:21

मां तुम्हारे बिना ये घर
चार दीवारों का मकान बन कर रह गया
तुमने जो पौधे लगाए थे फुल के
आज भी रंग बिरंगे पंखुड़ियां खिलते हैं
मगर खुशबू नहीं फैलाते अब चारों ओर
शायद तुम थी उन तितलियों की आकर्षण
कबका आना छोड़ चुके हैं वो
मां तुम्हारे बिना वो प्यार भरा बगीचा
फ़िर से आंगन बन कर रह गया
मां तुम्हारे बिना हरा भरा सा दुनिया
शून्य बन कर रह गया....

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25 AUG AT 19:11

में नाज़ुक हूं कमज़ोर नहीं
में शक्तिशाली हूं कठोर नहीं !!

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