आवेगों संग बहती नदी की धार हैं युवा, संभावना भरे नवयुग का विस्तार हैं युवा, चेतना के बीज जाने रूप क्या ले बैठे, सभ्यता के मंच पर जोशीले किरदार हैं युवा ....!
हिन्दी की मिठास जाननी हो कभी प्रेम पत्रों को पढ़ो, हिन्दी की सुवास समझनी हो कभी छंद गीतों को सुनो, हिन्दी की संपन्नता देखनी हो तो फिर साहित्य चुनो, हिन्दी की सहजता परखनी हो इसे अपना कर देखो...!
अमावस से पूर्णमासी तक का सफर उम्मीदों भरा होता है, पूर्णमासी से अमावस की रातों में , परछाइयाँ तक साथ नहीं देती है, अब ये किस्मत की बात होती है, किसके हिस्से क्या आता है..!
भ्रम है मेरे दिल को , तुम्हारी यादों की मीनार हमने बनाये है, जबकि हर ईंट तुमने रखी थी, अपने हाथों से इस दिल के कोने में , गुजरे लम्हों के गारे पर हमने बस, ईंटों को सजाया भर था ..!
रहे कुछ खास पल वो भी जहाँ होती रही बातें, नहीं मालूम कैसे शब्द थे हुई जिनमें मुलाकातें, तम्मना एक जगी ऐसी चलो कायल हुआ जाए, न बीते दिन कभी फिर से जो आंखों में कटी रातें..!
जज्बातों से लबरेज था वक्त तेरे साथ चलना, लौट रही हूं गुमनामी में किसी से क्या कहना, जीत जब हार की सूरत में मिलने लगे तो फिर, अनसुलझे प्रश्नों से और कितना ही प्रश्न करना...!