मम प्रेयसी
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मम प्रेयसी, मम प्रेयसी
देखा सारे जहाँ में,कोई तुम सा नहीं.....
मम प्रेयसी, मम प्रेयसी
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आँखें तुम्हारी जैसे,प्रीतमयी उपवन
जुल्फें घटा सी तेरी,सावन सा यौवन
चमके रूप ये सुहाना,जैसे पूनम की शशी
मम प्रेयसी, मम प्रेयसी........
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कुमकुम की बिंदिया ने,चैन मम चुराया
कानों की बाली पे, दिल मेरा आया
तेरी पायल की छम छम, मुझको देती खुशी
मम प्रेयसी, मम प्रेयसी........
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अब ना सताओ मुझे,पास मेरे आओ
घूंघट हटाओ जरा, मुखड़ा दिखाओ
मनी दिल की बढ़ाओ,नहीं तुम बेबसी
मम प्रेयसी, मम प्रेयसी........
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मनीष कुमार तिवारी
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*हर युवा हृदय में बसे राकेश*
हर युवा हृदय में बसे राकेश,बाकी सब तो है अवशेष
वीर विशेश्वर की परछाई, बातों में दिखता सचाई
उठाके वीणा जन सेवा का, पगड़ी की है लाज बचाई
इस अर्जुन के रथ पर बैठे, ब्रह्मा विष्णु और महेश
हर युवा हृदय में बसे राकेश, बाकी सब तो है अवशेष
जो जनता खातिर अर्पित है, सर्वस्व जो किया समर्पित है
जनता के आशीर्वचनों से, हर हृदय पटल पर अंकित है
जिसके खातिर सब कुछ खोया, आज उसी ने बदला भेष
हर युवा हृदय में बसे राकेश, बाकी सब तो है अवशेष
अब लालटेन पे फेको पानी, कमल की याद दिला दो नानी
निर्दल चुनिये शोभा जी को,मत भूलिए इनकी कुर्बानी
*चूड़ी* छाप ही विजयी हो, यह जनता एक आदेश
जिसके आने से बदलेगा, शाहपुर क्षेत्रीय परिवेश
हर युवा हृदय में बसे राकेश, बाकी सब तो है अवशेष
*मनीष कुमार तिवारी (मनी टैंगो)*-
💐छूट गइल गाँव हमार💐
आचरा के छाँव छूटल ,ममता के गांव छूटल,छूट गइल माई के दुलार
घर परिवार छूटल,निमिया के डाढ़ छुटल,छुटले लड़कपन के यार
बाली रे उमरिया में,हो गइनी नोकरिहा,होई गइल बानी जिम्मेदार
कुल अधिकार छुटल ,सवख सिंगार छुटल,मिट गइल बचपन हमार
नदिया के पार छुटले,गंगा जी के धार छुटले,छूट गइल होरहा आहार
बाली रे उमरिया में,हो गइनी नोकरिहा,होई गइल बानी जिम्मेदार
लाई के मिठाई छुटल,मिठाका दवाई छुटल,छूट गइल लड्डू आ कसार
डोमकच के नाच छुटल,गांव के बारात छुटल,छूट गइल आम के आचार
बाली रे उमरिया में,हो गइनी नोकरिहा,होई गइल बानी जिम्मेदार
खेत के पटावल छुटल ,भुजना भुजवाल छुटल,छूट गइल बाटे घूँसार
छठ दुर्गापूजा छुटले, छूट गइल घाटो कुटल,छूट गइल पर्व त्योहार
बाली रे उमरिया में,हो गइनी नोकरिहा,होई गइल बानी जिम्मेदार
शहर में मस्ती खूब बिछलहर बा बाकी मन लागे ना हमार
कहेले मनीष ,मिलल ढ़ेर बकसीस,बाकी याद आवे आपने दुवार
बाली रे उमरिया में,हो गइनी नोकरिहा,होई गइल बानी जिम्मेदार
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एक आदत जो तुम से सीखा है
ये मोहब्बत तुमसे ही सीखा है
जब भी पूछा किसी ने मुझसे परिभाषा प्यार का
मैने हरदम तेरा हि नाम लिखा है
मनी टैंगो-
#नमो_नमो
जिनके हर फैसले का जनता ने सम्मान किया
जिसने हिंदुस्तान को पुनः विश्व गुरु का पहचान दिया
खुशनसीब है हर भारतवासी ऐसे प्रधानमंत्री को पाकर
जिसने भारतीय राजनीति को एक अलग आयाम दिया
*जय हिंद*
*मनी टैंगो*-
*🚩🚩श्रीराम नाम मन तू जपले🚩🚩*
पुरुषार्थ में जिनके स्वार्थ न हो
जिनकी कोई कीर्ति ब्यर्थ न हो
जो पिता के वचन निभाने को
राज्य को त्याग कानन को चले
ऐसे पावन नाम है श्रीराम
नाम मन तू जपले
जो तीनों लोक के स्वामी है
जी त्रिकाल के ज्ञानी है
फिर भी धरती पर आकर
राक्षस बद्ध को वो निकले
ऐसे त्यागी नाम है श्रीराम
नाम मन तू जपले
जिस हृदय भाग में सीता है
जिस आँख के लव कुश बेटा है
पर कुल इज्जत के कारण
निज पत्नी को भी त्याग चले
पुरुषों में उत्तम पुरुषोत्तम
श्रीराम नाम मन तू जपले
*💐मनी टैंगो*-
*🚩संत बनना कहा आसान होता है🚩*
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संत गीता होता है संत पुराण होता है
संत के वेद मंत्रों से देवो का आह्वान होता है
परित्याग हर सुख निकल जाता है मुक्ति के तलाश में
हर मनुष्य के लिए संत बनना कहा आसान होता है
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जिसने छोड़ दिया बचपन के आनंद को
कौन नही जानता है स्वामी विवेकानंद को
अंगुलीमाल था डाकू जो क्रूरता का प्रतीक था
दिखाकर शांति मार्ग बुद्ध ने कर दिया सिद्ध था
संतो से ही सभ्यता और समाज का कल्याण होता है
शांत चित,करुण हृदय जिसका भगवा परिधान होता है
सम्मान करो संतो का,संत बनना कहा आसान होता है
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जिसके अंदर साधना है,तन,मन में आराधना है
कोलाहल भरी दुनिया से दूर हरदम ज्ञान ही सहेजना है
हिमालय में घर है जिसका,अम्बर है चादर जिसका
सदियों की तपस्या से बनते देव के समान है
सम्मान करो संतो का, संत बनना कहा आसान है
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याद करो रावण ने भी संतो का खून बहाया था
अपने भुजबल उसने निहत्थे संतो पर आजमाया था
कैसा उसका अंत समय था इससे कौन अनजान है
संतो के हृदयक्षेत्र में बसते स्वयं श्रीराम है
भगवा रंग में लिपटे है और दिल मे हिंदुस्तान है
सम्मान करो संतो का,संत बनना कहा आसान है ।
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*💐मनी टैंगो*
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*🚩🚩🚩जय जय परशुराम कहो🚩🚩🚩
ब्राह्मण कुल में जन्मे हो तो वेदो का सम्मान करो
गायत्री के बनो उपासक,देवो का आह्वान करो
धर्म के खातिर बनो धनुर्धर,दिल मे अपने तूफान भरो
बन जाओ तुम भगवाधारी,हरदम जय श्रीराम कहो
उठा लो फिर से फरसा,जय जय दादा परशुराम कहो
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तिलक लगाओ ललाट पर,दीप जलाओ घाट घाट पर
राक्षस कोई बच नही पाये,मिटा दो इनको रक्तपात कर
आख में भर लो ज्वाला,माँ रणचंडी का आह्वान करो
जिसने मारा संतो को,अब उसके रक्त का पान करो
उठा लो फिर से फरसा,जय जय दादा परशुराम कहो
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कर्मठता की ज्योति जलाकर,रहो हमेशा खुद पर निर्भर
गो रक्षा कर्तब्य निभाओ,गंगा माँ को स्वच्छ बनाओ
घर मे तुलसी वृक्ष लगाओ,पूजा पाठ बच्चो को सिखाओ
धर्म सनातन जग में फैले,ऋषियों का उत्थान करो
उठा लो फिर से फरसा,जय जय दादा परशुराम कहो
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मिटा रहे अस्तित्व तुम्हारी,जिसकी कोई औकात नही
अब तो जागो हिन्दू,ये है *रक्त* कोई बरसात नही
जिस धरती पर जन्म लिया,उस मिट्टी का सम्मान करो
मौत का तांडव इन्हें दिखाकर,जय जय हिंदुस्तान कहो
उठा लो फिर से फरसा,जय जय दादा परशुराम कहो
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*क्षत्रिय*
बचपन से ही जिसके खून में उबाल होता है,
जो जुनूनीयत का जलता मशाल होता है
जिसके भाल पर तिलक भी लाल होता है
जो कर्तब्य के खातिर खुद को बलिदान कर दे,
रणबांकुरों में क्षत्रिय भी कमाल होता है
जिसके नेत्र में त्रिनेत्र सा अंगार दिखे,
जिसके हाथों में धर्म के लिए हथियार दिखे
जिसका जिगर फौलादी और शेर का खाल होता है
जो हर चुनौती को खेल खेल में स्वीकार करे,
रणबांकुरों में क्षत्रिय भी कमाल होता है
जब खून की प्यासी धरती थीतब अपने खूँ से सींच दिए
देख के साहस और पराक्रम मुगल भी पग खिंच लिए
महाराणा को देख के रण में दुश्मन भी बेहाल थे
सिर्फ धड़ से लड़ने वाले बादल भी कमाल थे
जब हाथों में तलवार हो तो इनका अलग ही चाल होता है
रणबांकुरों में क्षत्रिय भी कमाल होता है
मैं नमन करूँ उस मिटी को,जिसने इस वृक्ष को जन्म दिया
मैं नमन करूँ उस रानी को,क्षत्रिय कुल के क्षत्राणी को
जिसने जौहर की ज्वाला में,खुद को हँसकर के मिटा दिया
मैं नमन करूँ उस आंगन को जिसमे खेले गोरा बादल
मैं नमन करूँ उस उपवन को जिसमे दौड़े आल्हा रूदल
मैं नमन करूँ उस गुरुकुल को जिसके शिष्य थे राम लखन
मैं नमन करूँ उस केवट को जिसने धोया पावन चरन
थे क्षत्री वीर भगत सिंह जी,अंग्रेज भी जिनसे डर बैठे
उधमसिंह भी क्षत्रिय थे जो हँसकर फांसी पर चढ़ बैठे
जो देश के खातिर सबकुछ लुटाकर भी खुशहाल होता है
रणबांकुरों में क्षत्रिय भी कमाल होता है-
*💪🏻भारत के मजदूर है ,ये सचे कोहिनूर है💪🏻*
जिसके दम से हर कार्य चले,जो महलो का निर्माण करे
भारत माँ का लाल है वो,पर हालत से बेहाल है वो
बेरोजगारी और गरीबी दोनों उसके बने करीबी
जो इंसान के जीवन का सिर्फ जख्म नही नासूर है
ये भारत का मजदूर है,देखो कितना मजबूर है
जो मेहनत की रोटी खाये,जो भूख में आँसू पी जाएं
पापी पेट को भरने खातीर ,घर परिवार से दूर है
दर दर ठोकर भी खाता है,फिर भी खुद को समझाता है
मेहनत करना मेरा किस्मत और दुनिया ये मगरूर है
ये भारत का मजदूर ये ही सच्चा कोहिनूर है
सरकार के झूठे वादे है,मजदूर तो सीधे-सादे है
दुनिया भी इनको मूर्ख कहे फिर भी नही घबराते है
गरीबी में ही जन्म लिए और गरीब ही मर जाते है
झुग्गी में ही रहते है पर भारत के तकदीर है
ये भारत का मजदूर ये ही सच्चा कोहिनूर है
*मनी* कहे ये दिल भी रोता है,जब कोई भूखा सोता है
ये भारत देश की गरिमा पर है जैसे काला दाग पड़ा
कुछ करोड़ो गटक लिया,कुछ विदेशो में भाग खड़ा
घुटकर जीते सत्य के राही,ये कैसा दस्तूर है
दाल में कुछ काला है गड़बड़ कुछ तो जरूर है
उनकी हालत कौन सुधारे जो भारत का मजदूर है
ये भारत का मजदूर है ये ही सच्चा कोहीनूर है ।
*💐मनी टैंगो*-