Manish Jha   (Nish)
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Joined 17 November 2017


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Joined 17 November 2017
24 JUN 2022 AT 23:35

"लोगों के छोड़ जाने का मुझे गम रहा,

मैं रहा जिसके भी साथ ज़रा कम रहा।"

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10 MAY 2022 AT 23:20

कभी कभी जीतने के लिए हारना पड़ता है,
बीती कई गलतियों को सुधारना पड़ता है।

यूँ ही नहीं सजते जनाब सभी के आँगन,
कुछ नया खिलने से पहले,
कुछ पुराना उजाड़ना पड़ता है।

हासिल तो हो जाती है मंज़िलें ज़रूर मगर,
कुछ ख्वाबों को पूरा करने के लिए,
कुछ ख्वाबों को मारना पड़ता है।

मुझे ना बताएँ कि आप इतने चमकते क्यूँ हैं,
मैंने सफ़ेद कमीज़ धोई है कई दफ़ा,
दाग़ मिटाकर ही उसे निखारना पड़ता है।🙏

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2 MAY 2022 AT 11:32

इंतज़ार आज भी तेरा करता हूँ,



मैं खुश हूँ कि तुझपे मरता हूँ।😍

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1 MAY 2022 AT 14:09

हम जता ना सके इश्क़ हमको भी था,
हम बता ना सके इश्क़ हमको भी था।

उसे कुछ हो न जाए डरते थे इस बात से,
निभाते ख़ूब अगर कहते इश्क़ हमको भी था।

ठीक आगे बैठती थी उसके कमर तक बाल थे,
काली काली अँखियां उसकी मानो नैनीताल थे।

आती थी बैठने को जब भी वो क्लासरूम तक,
सच कहते हैं फीके पड़ते थे ब्रांडेड परफ्यूम तक।

हम साँवले शर्मीले, हममें कोई बात नहीं थी,
उस सुंदरी को चाह बैठें इतनी औक़ात नहीं थी।

डरते डरते बातें करते, थे हम तब नादान बहोत,
बिगड़ गई तेरे चक्कर में, चुभता ये इल्ज़ाम बहोत।

जब तन्हाइयों ने पूछा चुपके से इश्क़ हुआ या नहीं,
हम छुपा ना सके ये बात के इश्क़ हमको भी था।।




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24 APR 2022 AT 12:54

फूल उसकी मुस्कान से इजाज़त ले के खिलते हैं,
पंछी उससे आँगन में मुहूरत देख के मिलते हैं।

है इतनी खूबसूरत प्रकृति से जुगलबंदी उसकी,
जब भी खुश होती है बादल धरती पर चलते हैं।

वो निकली है पगडंडी से इसकी आहट आते ही,
हिरण के छोटे छोटे बच्चे झुरमुट से निकलते हैं।

जिस दिन बयार बहे ठंडी समझना वो बाहर आई है,
खुशबू, इत्र, गुलाब और वादियाँ उसके साथ टहलते हैं।

उससे बातें करने को सब रहते हैं बेताब मग़र,
बातें जब मुझसे करती है, शहर के शहर जलते हैं।

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10 APR 2022 AT 21:35

"ग़म सारे कोई ले गया चौखट से मेरे,
एक अरसे से कुछ लिखा नहीं जाता।"

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20 MAR 2022 AT 21:11

मुझे माँगने वो जब उपवास रखती है,
दिल और जाँ के जब पास रखती है।

यकीं नहीं होता मुझे नसीब पर अपने,
सीने से लग के जब होंठों पर साँस रखती है।

कोई नहीं समझता जब उथल पुथल उसकी,
मैं अनकहा समझूँ मुझसे आस रखती है।

नहीं ढूँढती कुछ उसे और नहीं राज़ी,
मुझसे बुझेगी जो वो प्यास रखती है।

करना ख़ुदा उसके पाक अरमां सारे पूरे,
माँगी हुई मन्नत वो मुझसे राज़ रखती है।

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20 MAR 2022 AT 17:42

"जो बहकर तेरी दहलीज़ तक ना पहुँचे,
ख़ुदा ऐसी लक़ीर ना दे मेरे हाथों में।

जो चीर कर हो जाऍं पार तेरे कलेजे के,
ख़ुदा ऐसी तहरीर ना दे मेरी बातों में।"

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19 MAR 2022 AT 15:06

रक्खे महफूज़ तुझे हर इक बला से,
है अफ़सोस मेरा इश्क़ वो जोगी नहीं।

उस रात के पहले की शाम का है डर,
जब होकर मेरी तू साथ मेरे होगी नहीं।

कुछ हासिल न हो तो भी हासिल है हिज़्र,
इश्क़ रोग है, ख़ुश रहना तू अब रोगी नहीं।

बेरहम हो ज़िंदगी तुम ये जानता हूँ मैं,
जिसे सबसे ज़्यादा चाहूँ, चीज़ वो दोगी नहीं।

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18 MAR 2022 AT 16:40

ज़िंदगी बनाता भी जुनूँ है, तबाह भी जुनूँ ही करता है।

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