12 MAY 2019 AT 15:43

छोटी छोटी जल की बूंदे सागर को भर देती है,
बालू की रच नन्ही नन्ही सुकर भूमि रच देती है,
क्षण क्षण काल इकट्ठा होकर लंबा युग बन जाता है,
क्षण को शुक्ष्म ना समझो भाई.. ये जग का निर्माता है।

Hawaa Hawaai

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