किस्मत के खेल भी कैसे निराले है जिसे प्यार मिला वो दामन बचा कर निकल गया जिसे नही मिला वो सारी उमर पाने को तरस गया - सागर माधुरी
किस्मत के खेल भी कैसे निराले है जिसे प्यार मिला वो दामन बचा कर निकल गया जिसे नही मिला वो सारी उमर पाने को तरस गया
- सागर माधुरी