हासिए पर थे कई महत्वाकांक्षी ऐसे जो अब कतार में हैं,
पता नही कब साकार हो जाए सपने,
इंतजार में हैं।-
किसे छोड़े
किससे रिश्ता निभाए,
बहुत कश्मकश में रहती हैं बेटियां।
अपने अरमान,छोड़ दुनियां जहान,
कई रिश्ते दफन दिल में
करती हैं बेटियां।
जो ना किया कभी, करती वो हंस के,
ताने सभी की सहती है हंस के,
गम को छुपाती,
सदा मुस्कुराती,
है क्या गम ना मां से भी कहती है बेटियां,
बहुत कश्मकश में रहती हैं बेटियां।-
टूट रहे हैं दल सभी,
सपा,बसपा,कांग्रेस और AAP भी,
अगर टूटना ही नियति है,
फिर तो टूटेंगे एक दिन
आप भी।-
आंखों में भरा समंदर फिर भी,
कौन कहता हम उदास बहुत हैं,
होठों पर रखते मुस्कान हर पल,
जमाने में मेरा नाम बहुत है।-
जख्मों भरा दिल फिर भी
चलने को आतुर अंगारों पर पांव मेरा,
कैसे बंद कर दूं उस दरवाजे को?
जिसके उस पार बसा
यादों का गांव मेरा।-
जहां धर्म एवं जातियों में बंटी जनता,
जहां मुफ्त की ख्वाहिश,
मुफ्त के बल पर चलती सरकार,
वहां कुछ भी कहना अतिश्योक्ति नहीं,
अतिश्योक्ति नही कहना उनका,
अबकी बार चार सौ पार।-
अब छह माह वैधता वाला रिचार्ज कूपन नही आता,
जबरदस्ती थोपा जा रहा है मोबाइल डाटा,
गरीब रथ,जनशताब्दी रेल गाड़ियों के,
अब इंजन एवं डब्बे नही बनते,
बातें होती है चहुओर वंदे भारत की,
अब हमारे देश में गरीब नही बसते।-