अनेक रिश्ते बनाए और सबका मोल समझा यह सोचकर सिंचाई करती गई कि इतने पक्के कर दूंगी कि वे सदा पनपते रहें विश्वास था कि ज़िंदगी की बगिया उनकी खुशबू से महकती रहेगी हां, अब सब खिल तो उठे हैं पर किसी को उसकी बीज याद नहीं
उसे हंसते-हंसाते गाते गुनगुनाते और बस चहकते देखा था मैंने पर आज जब उसे ख़ुद के हालातों से लड़ते देखा और पूरे हौसले से दर्द के साथ भी खेलते देखा तो विश्वास कर बैठी हूं कि वह ही शक्ति और ऊर्जा का असली रूप है