कुछ तो कैद है अंबर के सीने में जो उभरना चाहता है...गौर फरमाओ इन आँधियों का शोर कुछ कहना चाहता है!पहर दर पहर तमाम दर्द दफनाए हैं इसने ज़हन में,फिर आज क्या हुआ ऐसा कि ये टूट के घुमड़ना चाहता है? - Solitary Hut
कुछ तो कैद है अंबर के सीने में जो उभरना चाहता है...गौर फरमाओ इन आँधियों का शोर कुछ कहना चाहता है!पहर दर पहर तमाम दर्द दफनाए हैं इसने ज़हन में,फिर आज क्या हुआ ऐसा कि ये टूट के घुमड़ना चाहता है?
- Solitary Hut