कविता
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जीवन में खुशियों का खज़ाना लिए
आरज़ू भरी दिल की हो तुम सरिता,
तुम्हारे संग बीते हर एक लम्हा मेरा
कोरे कागज़ पे लिखी गई वो कविता।
क्षण भर को भी मिलते हो प्यार से
जगा देते अनगिनत स्वप्न प्लविता,
हृदय प्रांगण में सज्जित है प्रेम पुष्प
बना देते हो शब्दों की अमर कविता।
भावनाओं का बवंडर में मची हलचल
सजाया सपनों में तुम्हें अपनी भविता,
दिल की रीत सदाचार से संजोए हुए
पलों को गूंथे मालाओं से बने कविता।-
Author of 11 solo books & 3 with collaboration, 1 compiled book
..औरत ... read more
मुग्ध होकर देखकर तुम हो रहे हो मदहोश,
तन-मन में अगन जले, मुझमें है ऐसा आक्रोश।
रग-रग में तिक्तता दर्शाते हैं मेरे नृत्य शैली,
संभल जाओ, वर्ना हो जाओगे बेवजह बेहोश।।
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"मदहोशी के आलम में बहारों से कर रहे हैं गुफ़्तगु, अधूरा इश्क़,
जाने किस गली में छिपा है, पर छाया है चारों तरफ़ उसका मुश्क।"-
अपने आप पर भरोसा ना खोया करो,
ज़िन्दगी मिली एक बार तो जीया करो।
तन, मन, धन मेरा सब है बस तुम्हारा,
अपने दिल पे मेरी कोई बात ना लिया करो।।-
अपनी कहानी में हर किरदार मैं,
किसी भी हालत में जिम्मेदार मैं।
हूँ मैं अपनी, है दो जहां अपनी,
अपनी ज़िन्दगी की सुबेदार मैं।।
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बिंदास किरदार जिसका हो,
वो क्यों डरे तूफ़ान से टकराने के लिए।
दामन उसका पाक सदा रहा,
ज़िन्दगी उसकी है बेधड़क जीने के लिए।।-
बिंदास किरदार जिसका हो,
वो क्यों डरे तूफ़ान से टकराने के लिए।
दामन उसका पाक सदा रहा,
ज़िन्दगी उसकी है बेधड़क जीने के लिए।।-
ज़िन्दगी का ताना-बाना बुना,
बहुत हुआ अब रोना धोना,
क्या पता आगे क्या होगा....
कई आए और गए,
पर, सबक बहुत सीखा गए,
ठीक है, सब-कुछ सीखना होगा....
यह एक बात सच है,
कर्म के आगे घुटने टेक दिए सब,
रब का नाम लेकर ज़िन्दगी जीना है...-
यह आखिरी मुलाकात नहीं है जाना, क्यों घबरा रहे हो,
आज जा रही हूँ तुम्हारे ही गली, क्यों हमसे कतरा रहे हो।
आने वाले समय को सोच कर मन ही मन मुस्कुरा रही हूँ,
आपके चौखट पर दुल्हन बन आपके करीब आ रही हूँ।-
अपनों के दिये ज़ख्म कभी भरते नहीं,
ख़ूद के सुकून के लिए जंग करते नहीं।
बाज़ ना आए अगर कोई अपनी करनी से,
उनके रंग में भंग हम कभी डालते नहीं।।-