एक कविता हर "माँ" के नाम
घुटनों से रेंगते - रेंगते,
कब पैरो पर खड़ा हुआ l
तेरी ममता की छाँव में,
जाने कब बड़ा हुआ l
काला टीका दूध मलाई,
आज भी सब कुछ वैसा है l
मै ही मै हू हर जगह,
प्यार ये तेरा कैसा है?
सीधा साधा, भोला भाला,
मै ही सबसे अच्छा हू l
कितना भी हो जाऊ बड़ा,
" माँ " आज भी तेरा बच्चा हू l
- R@ज ✍️
28 SEP 2018 AT 18:20