खुशियों के संग गम भी रह लेते
आते ही ऑखों में आँसू देते
हाय ! ये क्या हुआ बफ़ाओं को
इक बेबफा ने वो घर तोड़ डाला
जो गम व खुशी का ठिकाना था ।

- प्रवीण कुमार श्रीवास्तव