16 JAN 2018 AT 9:30

भाव वहशी (जानवर) के अगर
हर इक चेहरे पर उभर आता...
तो पहचान जाते हम यहाँ इंसान ए गिरगिट को!
फिर कोई भी कलम
हमारे दाग ए दामन की कहानियाँ नहीं लिखता...

- S🆎K बिहारी