भाव वहशी (जानवर) के अगर हर इक चेहरे पर उभर आता...तो पहचान जाते हम यहाँ इंसान ए गिरगिट को!फिर कोई भी कलम हमारे दाग ए दामन की कहानियाँ नहीं लिखता... - S🆎K बिहारी
भाव वहशी (जानवर) के अगर हर इक चेहरे पर उभर आता...तो पहचान जाते हम यहाँ इंसान ए गिरगिट को!फिर कोई भी कलम हमारे दाग ए दामन की कहानियाँ नहीं लिखता...
- S🆎K बिहारी