दिल आशिक़ों का बहलता रहेये बादल यूँ ही बस बरसता रहेमुझे गिला नहीं मौला बरसात कागरीबों का चुल्हा बस जलता रहे - करम
दिल आशिक़ों का बहलता रहेये बादल यूँ ही बस बरसता रहेमुझे गिला नहीं मौला बरसात कागरीबों का चुल्हा बस जलता रहे
- करम