दिल्ली की सर्द हवाओं से रिश्ता बड़ा पुराना है
हरे रिक्शा की गड़गड़ाहट
और इन हवाओं की सनसनाहट
आग और पानी का काम करतीं थीं।
एक उन लव्ज़ों को दबा देती थीं
जो हमनें बड़ी मुश्किल से
आँखों से ज़ुबान तक उतरने दिए थे
और दूसरी उन खामोशियों को
जो बड़ी मुश्किल से नसीब हुईं थीं
हम दोनो के दरमियान।
इन दोनो आवाज़ों के बीच में
कनाॅट सर्कस की भीड़ में
हौजखास की चकाचौंध में
दिल मेरा पलखें उठाएगा, एक दिन।
किसी चौपाटी पर बैठी हुई
गरम आहें भरती हुई
अपने तिलों की खूबसूरती से बेख़बर
किसी सफरनामे की दहलीज़ पर
दुनिया भर के सपनें अपने दिल में संजोए
तुम मिलोगी हमें, दिल्ली के किसी किनारे पर।
- A heart penned down