रहमतों के दरियाओं का समंदर आने दो,इस डूबते आशिक़ का किनारा आने दो,वक़्त की चादर को ज़रा मेहफ़ूज़ रखों,बदल कर इस चाँद को सूरज पे आने दो। - Kirtikayशर्माrahaहैं।
रहमतों के दरियाओं का समंदर आने दो,इस डूबते आशिक़ का किनारा आने दो,वक़्त की चादर को ज़रा मेहफ़ूज़ रखों,बदल कर इस चाँद को सूरज पे आने दो।
- Kirtikayशर्माrahaहैं।