10 DEC 2017 AT 17:19

तेरी आँखों का सफर,
हम बने एक मुसाफ़िर।
तय करें हम रास्ता,
जो न हो यूँ ख़त्म।

तेरी बातों का सफ़र,
हम बने एक मुसाफ़िर।
चुन लें लफ्ज़ जो तू छोड़ दे,
बुन ही लें कोई नज़्म।

तेरी यादों का सफ़र,
हम बने एक मुसाफ़िर।
जी लें हर इक पल को ऐसे,
जैसे हैं इसके हमसफ़र।

तेरे ख़्वाबों का सफर,
हम बने एक मुसाफ़िर।
जो हमें भी देदे सांसें,
जैसे हो कोई शज़र।

तेरी रूह का सफ़र,
हम बने एक मुसाफ़िर।
जितना जानें उतना पा लें,
जैसे हो वो मेरा दर्पण।

- Khyati