Karan Singh   (करन ठाकुर)
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Joined 24 June 2018


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7 MAY 2022 AT 11:34

छोटे छोटे लम्हों में मुस्कुराते रहिए,
रुक रुक कर ही सही पर कदम बढ़ाते रहिए
मंजिल मिलेगी देर सवेर ही सही
आप खुद पर भरोसा जताते रहिए।

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3 FEB 2022 AT 17:16

ये झूठे लतीफे मुझे मत सुना ,
जो बात है सच सच वो मुझको बता ,
याद आज भी मेरी आती है ना ,
रातों को नींदे उड़ाती है ना ,
ये चेहरे कि झूठी हंसी मत दिखा ,
दिल में जो गम है उसे मत छिपा ,
कोई मिला नहीं आज भी मुझ सा तुझे
तेरी आंखें कर रही है सच ये बयां।
ये झूठे लतीफे मुझे मत सुना ,
जो बात है सच सच वो मुझको बता।

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22 JAN 2022 AT 11:37

खुद से कभी बातें की नहीं ,
औरों को किस्से सुनाते रहे।
इलाज हर मर्ज का खुद के पास ही था
बेवजह हकीम को नब्ज़ दिखाते रहे ।
और जब तक समझा ज़िंदगी जीने का ढंग
बूढ़े हो गए और पोता पोती खिलाते रहे।

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14 JAN 2022 AT 15:13

हां अब हम साथ नहीं है ,
खैर छोड़ो ना ये कोई नई बात नहीं है ।
वो लम्बी लम्बी बातें, वो दिलकश मुलाकातें
नहीं अब वो पहले से हालात नहीं है ।
बात तो होती है उससे
पर बातों में अब वो बात नहीं है
खैर छोड़ो ना ये कोई नई बात नहीं है ।

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31 DEC 2021 AT 23:36

इक और साल गुज़र गया सपने मुकम्मल करने कि आस में ,
इक और साल इज़ाफ़ा हुआ मेरी बढ़ती प्यास में।
इक और साल हम भागते ही रह गए
मंजिल को प्यासी निगाहों से ताकते ही रह गए
इक और साल कटा लड़खड़ाते हुए
भटकती जिंदगी को रास्ते पर लाते हुए ।
इक और साल तुम्हे खोने का डर सताया,
इक और साल तुमसे मिल नहीं पाया
इक और साल कटा घर से दूर
इक और साल रह गए हम यूं ही मजबूर।


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30 DEC 2021 AT 17:09

होंगी तेरे शहर में मशहूर कई चीजें
मेरे दोस्त तो इसे मेरे ससुराल के नाम से ही जानते है।

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26 DEC 2021 AT 9:01

लफ़्ज़ों से कितने ही फरेब कर ले तू ,
तेरी आंखें आज भी मेरी वफादार है ।

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23 DEC 2021 AT 10:51

हम एक दूसरे के कभी थे ही नहीं , फिर भी हक जताते रहे
साथ क्यों थे पता नहीं , यूं ही बेवजह दिल लगाते रहे ।

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5 DEC 2021 AT 19:29

ये जो तू इतना मुस्कुरा रही है
आखिर क्या राज़ है जो छिपा रही है।
ये खुशबू तेरे जिस्म की तो नहीं है
दूर हट जा तुझसे गैर की बू आ रही है।

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21 NOV 2021 AT 13:18

मसला ये नहीं कि मै खफा हूं,
मुद्दा ये है कि तुम्हे वजह तक पता नहीं ।
मसला ये नहीं कि हम जुदा है
मुद्दा ये है कि तुम्हे मेरी चाह तक नहीं ।
मसला ये नहीं कि मेरे आंसू निकल रहे हैं
मुद्दा ये है कि तेरे रंग बदल रहे है।
मसला ये नहीं कि मै लौटूंगा या नहीं
मुद्दा ये है कि तेरे दिल के दरवाजे बन्द हो चुके हैं।

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