चार दिन की जिन्दगी में,क्यों गुरूर-ए-आग हो,,इक बक्त गुजारा है ,तुम्हारे इन्तजार में,, - 'कमल' बरेलवी
चार दिन की जिन्दगी में,क्यों गुरूर-ए-आग हो,,इक बक्त गुजारा है ,तुम्हारे इन्तजार में,,
- 'कमल' बरेलवी