लिखना खुद में फ़फ़ूँद उगाने जैसा है ।
खुद के ऐसे हिस्से को आसरा देना जो दुखता हो ,
व्यर्थ हो पर अपना अस्तित्व मांगता हो।-
Kalpana Pandey
(कल्पना पांडेय)
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https://youtu.be/wW91ekKG1PU
Joined 11 November 2016
22 DEC 2024 AT 9:18
21 DEC 2024 AT 18:54
सर्दियां पसंद हैं मुझे
साल भर के घावों पर बर्फ़ पड़ जाती है। दर्द दब जाता है।
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21 DEC 2024 AT 18:47
मेरी टूट छू कर देखोगे तो
एक भरा पूरा शोर मिलेगा
और बेहिसाब बेबाकियां होंगी
आधी अधूरी
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16 OCT 2024 AT 22:26
एक चांद था
प्रेमी
छिपने दिखने
आधे पूरे
होने न होने से परे
सफ़ेद शर्ट और नीली जींस में सिर्फ मेरी छत पर अटका हुआ
मेरे नाम की खीर रोज़ चखता हुआ-
14 OCT 2024 AT 22:59
बहुत आसान है ज़िंदगी को हेलो
कहना
क्या हाल ? पूछते ही जिंदगी नम पड़ जाती है ।
ढह जाती है।-
6 AUG 2024 AT 9:24
एक रोज़ तुम्हें उधार मांग लूंगी ।
जाने क्यूं ?
किस लिए?
क्या?
जैसा कुछ बुझाने के लिए।-
6 AUG 2024 AT 9:13
पहुंचना है असल कविता
लिखना खाली मन में उदासी खनखनाने जैसा है ।
वो कंकड़ जो छन से टूटे
टूटकर गिर जाए
उठाओ और अंगुलियां छिल जाए
वही पहुंचना है।
कविता वहीं मिलेगी।
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6 AUG 2024 AT 8:59
किताब
अक्षरों,शब्दों ,वाक्यों,विरामों और संवेदनाओं का सब्र है।
कागज़ की कब्र है-