"पापा"
वो जो रात को कच्ची नींद सोता है
जिसके हृदय में प्रेम का अद्भुत स्त्रोत होता है
जिसके स्नेह की तुलना व्यर्थ है
जो तुमको हर स्तर पर संभालने में समर्थ है
जिसके क्रोध में सीख है
जिसका हर वाक्य सरल व सटीक है
जो माँ की तीखी डांट से बचाता है
जिसके प्रेम भाव को हर कोई समझ नही पाता है
जो हर रिश्ते की भांति मेरे समीप नही रह पाता है
संसार मे ना होते हुए भी उसका 'साया' मुझपे आज भी स्नेह आशीष की तरह मंडराता है ।।।
- ●कात्यायनी गौड़