Jayesh Shukla   (JS)
140 Followers · 56 Following

Joined 19 December 2017


Joined 19 December 2017
7 APR 2023 AT 18:20

बस इतनी सी बात पर डूब जाता है,
वक्त आता है और
सूरज का आसमां से साथ छूट जाता है...

-


21 JUN 2022 AT 17:48

"खोजने" से, तो सिर्फ मिलते हैं रास्ते
लेकिन "कोशिशें" रास्ते बना लेती हैं

-


2 JUN 2022 AT 17:00

पाकर खोना, खोकर पाना
इसके बीच ही फसा ज़माना
खोकर के फिर क्या पछताना
पाकर के फिर क्या इतराना

-


26 MAY 2021 AT 21:08

Paid Content

-


23 SEP 2020 AT 21:58

Ssssssshhhhhhhhhhhh
Be quite
"Void"
"Shivering hand"
Dizzy to land
"Darken eyes"
"Loss of noise"
"Skipping beating heart"
Life has a start
"But End is a part"
Failed consoling
"Failing of life"
Ssssssshhhhhhhhhhhhhh
Be quite
"VOID"
Maybe that's what
"death feels like"

-


18 JUL 2020 AT 15:06


सुबह से लिखते रंत करूँ
फिर लिखते-लिखते अंत करुँ
हो साँसों सा मुझे काम यही
बस यही कर्म जीवंत करूँ
सुरुआत में बैठा अंत लिखूँ
मैं शून्य से अनन्त लिखूँ
जो अंतहीन प्रपंच लगे
मैं ऐसा कोई ग्रंथ लिखूँ
कभी ठिठुर-ठिठुर
कभी ठहर-ठहर
हर पहर-पहर
लगे कहर-कहर
मैं डर को अपने स्याह करूँ
मैं कोई न परवाह करूँ
लिखना चाहूँ तो लिख लिखकर
इस लेखन का श्रृंगार करूँ
हो पूर्णविराम जब जीवन का
तो स्याह में डूबा पंख बनूँ
लिखूँ मैं लीन मीरा सा
लिखकर ही नागा संत बनूँ
सुबह से लिखते रंत करूँ
फिर लिखते-लिखते अंत करुँ
जो अंतहीन प्रपंच लगे
मैं ऐसा कोई ग्रंथ लिखूँ

-


18 JUL 2020 AT 13:45

उसको मालूम है
वो जानती है मुझे
मुझको मालूम
मैं खुद से भी अनजान हूँ

-


27 APR 2020 AT 18:23

मौहब्बत देख ली है आँखों में
आँखों में बातें कर रक्खी हैं
अब ज़ुबाँ कि ये औक़ात नहीं
कि इन बातों से मुकर जाए

कुछ ख्वाब संजोये बैठी हैं
कुछ याद बसी है आँखों में
पर काल कि ये करनी ही नहीं
कि बीत के कल, कल फिर आए

कभी सागर जल सी भरी हुई
कभी आँख खला सी है खाली
कुशलताएं ये चंचल मन की
बस आँखें ही दिखला पाये

हो काक चेस्टा जो मन की
तो बगुला ध्यान भी हो जाये
आँखों सा कपटी न कोई
सच्चा भी न मिल पाए

मोहब्बत है मोहब्बत से
मोहब्बत की बातें हो जाये
हैं डाकियाँ ये आँखें वो
जो खुद चिट्ठियों पे रो जाए

मोहब्बत देख ली है आँखों में...

-


5 DEC 2019 AT 18:31

वो हुआ कुछ यूँ
कि यूँ हि होता रहा सबकुछ
फिर इक रोज़
यूहीं गुज़र गया

-


9 OCT 2019 AT 10:11

हर रोज़ वो जलता हुआ निकल पड़ता है
उसे देख, मैं अपने भीतर कि आग कैसे बुझने दूँ




#सूर्य

-


Fetching Jayesh Shukla Quotes