16 APR 2019 AT 9:30

एक किताब की तरह हूँ मैं कितनी भी पुरानी हो जाए, पर उस के अलफ़ाज़ नहीं बदलेंगे कभी याद आये तो पन्ने पलट कर देखना हम आज जैसे है कल भी वैसे ही मिलेंगे....

- गुमनाम_सिकंदर