अंधे को मंदिर आया देखकर लोग हंसकर बोले की,
मंदिर में दर्शन के लिए आये तो हो
पर क्या भगवान् को देख पाओगे ?
अंधे ने मुस्कुरा के कहा की,
क्या फर्क पड़ता है, मेरा भगवान् तो मुझे देख लेगा.
द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सही होना चाहिए !!- गुमनाम_सिकंदर
2 APR 2019 AT 8:43