jaspreet singh   (JS)
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Joined 25 October 2020


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30 SEP 2022 AT 23:03

मैं लम्हों का शायर हूं
सिर्फ लम्हों में ही जीता हूं
हो मदहोशी वाली महफ़िल फिर भी
मैं मय से दूर ही रहता हूं
किस्से सुने हो लाख़ किसी के
पर मुख से मौन मैं रहता हूं
मैं लम्हों का शायर हूं
सिर्फ लम्हों में ही जीता हूं

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30 SEP 2022 AT 23:02

मैं लम्हों का शायर हूं
सिर्फ लम्हों में ही जीता हूं
हो मदहोशी वाली महफ़िल फिर भी
मैं मय से दूर ही रहता हूं
किस्से सुने हो लाख़ किसी के
पर मुख से मौन मैं रहता हूं
मैं लम्हों का शायर हूं
सिर्फ लम्हों में ही जीता हूं

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30 SEP 2022 AT 22:58

बता नहीं सकते की तू मेरी कौन है
दिल में है शोर बहुत पर अधर फिर भी मौन है
यूं तो अंधेरा बहुत गहरा है तन्हा सी इन रातों में
पर तेरी यादों को रोशनी से हर बार होती नई एक भोर है

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15 AUG 2022 AT 10:06

आज़ादी के इस दिन पर
आज़ादी के इस दिन पर
मिलकर हम कुछ जंजीरे तोड़े
जात पात और धर्म प्रजाति
मिलकर इनके बंधन तोड़े
कब तक बैठे सोचेंगे की
देश का मेरे क्या होगा
अपने अपने कर्मो से हम
मिलकर इसकी धरा को जोड़े

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15 AUG 2022 AT 9:56

स्वतंत्रता की भी अलग कहानी है
भूले हम शहीदों की कुर्बानी है
खून दे कर पाया ये सवेरा है दोस्तो
खो न देना क्योंकि तुम्हे राजनीति प्यारी है

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7 FEB 2022 AT 22:51

क्यों मिले थे
जब साथ निभाने का इरादा ना था
क्यों कहा था अपना
जब अपनाने का इरादा ना था
जाना था तो बता जाते
के वापिस आने का इरादा ना था— % &

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7 FEB 2022 AT 22:42

चाँद से नज़दीकियां हो जाएंगी
अगर रातों से बातें हो पाएंगी
तारों से भी याराना तब हो जाएगा
और दर्द भूलना आसान हो जाएगा — % &

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9 DEC 2021 AT 21:37

देश के वीर
वीरों की देह पर आज फिर तिरंगा सजा है
देश के बेटों के लिए आज पूरा देश खड़ा है
अपनी आंखो को नम करके विदाई ना दो इन मतवालों को
ये शेरों का टोला है ज़िंदगी भर सीना तान के चला है

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20 NOV 2021 AT 22:25

रूठने वाले अक्सर मनाया नही करते
जो मनाते है वो अपनी अहमियत दिखाया नहीं करते
माना रिश्तों में हर कोई एक सा नहीं होता
पर जो प्यार करते है वो एक दूसरे को सताया नहीं करते

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20 NOV 2021 AT 22:21

मुक्त हो जाओ अहम से
तुम सर्वोपरी हो इस वहम से
हर कोई यहां अपने में ख़ास है
क्योंकि धरती पे आया है वो रब के रहम से

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