मैं लम्हों का शायर हूं
सिर्फ लम्हों में ही जीता हूं
हो मदहोशी वाली महफ़िल फिर भी
मैं मय से दूर ही रहता हूं
किस्से सुने हो लाख़ किसी के
पर मुख से मौन मैं रहता हूं
मैं लम्हों का शायर हूं
सिर्फ लम्हों में ही जीता हूं-
अक्सर हम जेैसो को लोग पागल कहा करते है
P.S: Don't ju... read more
मैं लम्हों का शायर हूं
सिर्फ लम्हों में ही जीता हूं
हो मदहोशी वाली महफ़िल फिर भी
मैं मय से दूर ही रहता हूं
किस्से सुने हो लाख़ किसी के
पर मुख से मौन मैं रहता हूं
मैं लम्हों का शायर हूं
सिर्फ लम्हों में ही जीता हूं-
बता नहीं सकते की तू मेरी कौन है
दिल में है शोर बहुत पर अधर फिर भी मौन है
यूं तो अंधेरा बहुत गहरा है तन्हा सी इन रातों में
पर तेरी यादों को रोशनी से हर बार होती नई एक भोर है-
आज़ादी के इस दिन पर
आज़ादी के इस दिन पर
मिलकर हम कुछ जंजीरे तोड़े
जात पात और धर्म प्रजाति
मिलकर इनके बंधन तोड़े
कब तक बैठे सोचेंगे की
देश का मेरे क्या होगा
अपने अपने कर्मो से हम
मिलकर इसकी धरा को जोड़े-
स्वतंत्रता की भी अलग कहानी है
भूले हम शहीदों की कुर्बानी है
खून दे कर पाया ये सवेरा है दोस्तो
खो न देना क्योंकि तुम्हे राजनीति प्यारी है-
क्यों मिले थे
जब साथ निभाने का इरादा ना था
क्यों कहा था अपना
जब अपनाने का इरादा ना था
जाना था तो बता जाते
के वापिस आने का इरादा ना था— % &-
चाँद से नज़दीकियां हो जाएंगी
अगर रातों से बातें हो पाएंगी
तारों से भी याराना तब हो जाएगा
और दर्द भूलना आसान हो जाएगा — % &-
देश के वीर
वीरों की देह पर आज फिर तिरंगा सजा है
देश के बेटों के लिए आज पूरा देश खड़ा है
अपनी आंखो को नम करके विदाई ना दो इन मतवालों को
ये शेरों का टोला है ज़िंदगी भर सीना तान के चला है-
रूठने वाले अक्सर मनाया नही करते
जो मनाते है वो अपनी अहमियत दिखाया नहीं करते
माना रिश्तों में हर कोई एक सा नहीं होता
पर जो प्यार करते है वो एक दूसरे को सताया नहीं करते-
मुक्त हो जाओ अहम से
तुम सर्वोपरी हो इस वहम से
हर कोई यहां अपने में ख़ास है
क्योंकि धरती पे आया है वो रब के रहम से-