इस राह पर चलते चलते अर्से बीत गए
लेकिन अभी तक समझ नही आया
क्या खोया क्या पाया
कई ठोकरे खायी,
लेकिन हर ठोकर के साथ सबक ज़रूर पाया
वक्त खोया लेकिन तजुरबा आया
मज़ा खोया लेकिन परिश्रम ने परिणाम दिखाया
यार खोया तो दुश्मन पाया
मासूमियत खोयी तो चालाकपन पाया
और बस यही
जवानी की आड़ मे बचपन खोया
इसके बदले शायद कुछ नही पाया।
- Ishika