ऐ दिल, बहुत दिन हुए तुमसे गुफ्तगू करे
आज आखिर मैने वक्त निकाल ही लिया
सोचा तुम्हारा हाल-चाल जानू
कुछ अपनी कहू कुछ तुम्हारी सुनू
जानती हूँ, डरते हो तुम भी
चाहे जितना इन्कार कर लो
अखबारों में दर्दनाक ख़बरें पढ़
पल पल मरते हो तुम भी
ये ज़िंदगी का सफ़र भी अजीब निराला है
जितना सुख है उतना ही दुख भोग के जाना है
हाँ, कभी कभी दुख का पलड़ा भारी भी होगा
मगर याद रखना, सुख हमेशा दरवाज़े के उस पार ही होगा
कोई मुश्किल, कोई हालात तुमसे बड़े नहीं
ये धड़कने बहुत कीमती हैं
इन्हें यूही गवाना हरगिज़ मंज़ूर नहीं।
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