26 APR 2019 AT 18:22

योगरतोवा भोगरतोवा
सङ्गरतो वा सङ्गवीहिनः
यस्य ब्रह्मणि रमते चित्तं
नन्दति नन्दति नन्दत्येव

योगरतोवा भोगरतोवा – योग के द्वारा या भोग के द्वारा, अनुशासन में या सुख में, आप इसे किसी तरह से जरूर करें। आप कैसे करते हैं यह मायने नहीं रखता,महत्‍वपूर्ण यह कि आप इसे जरूर जानें।

- Himanshu