यमुना के नीर से हो मेरे शब्द
गंगा के बहाव सा हो लहजा
संगम सा हो अर्थ मेरी कहानी का
प्रयाग सा ठिकाना
सुर हो मेरे शब्दों का कृष्ण की बंसी के जैसा
भावार्थ शिव के डमरू सा
कैलाश सी हो खूबसूरती मेरे शब्दों की
सबरी सी सरलता
माला सा पिरो
मोतियों सा सजाऊं
वेदों सा लिख
गीता सा सुनाऊं
सुने कोई तो मीरा के भजन जैसा
समझे कोई तो राधा के प्रेम जैसा
यमुना के नीर से हो मेरे शब्द
गंगा के बहाव सा हो लहजा
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TheDEADPOSER
(Thedeadposer)
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ShadowHunter
Joined 8 June 2017
18 MAR AT 8:32
17 MAR AT 20:15
बारिश की पहली बूंद का
लाइब्रेरी की पुरानी किताब सा
पहला झोंका हवा का
घाट पुराना नदी सा
मटके में बंध वो पानी
तपती धूप में छांव सा
पहली चहचहाट सुबह की
आखरी मोड़ उस राह का
कुछ क्या कैसे क्यों कब कहां की दौड़ से परे
मैं उठता बादल समंदर सा
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