रात अक्सर चुरा ले जाती है
चैन, नींद
और छोर जाती है
यादें ।-
हवाएँ दे दी जाती है अक़सर ग़लतफ़ेमियों को
जब कोई ख़ुद को सही साबित नहीं कर पाता है
ए ख़ुदा तू ही करना न्याय
ये दिल में दिमाग़ रखने वाले लोग
अक्सर ख़ुद का ही मुनाफ़ा देखा करते है ।-
कुछ कहों ना
कि कुछ सुनने का मन करता है कभी कभी
की वो बाते वो लफ़्ज़ जो शायद कभी तुम रोज़ कहते थे
और मैं रोज़ सुनती थी
मगर अब ना तुम कहते हो ना मैं सुनती हूँ
तो कहों ना
कि आज कुछ सुनने को मन कर रहा है
ज़िम्मेदारियों के तले दब से गये है
कि कुछ हूं इनसे अलग मैं तुम्हारे लियें
कि कुछ कहों ना आज कुछ सुनने को मन कर रहा है ।-
राह ए इश्क़ पर चलना बेकार है
या तो मंज़िल से भटका देता है या मुसाफ़िर से ।-
अधूरी रह गई है तलाश
हर चीज़ की
अधूरे हम
अधूरी ख़्वाहिश
और अधूरी ज़िंदगी तुम बिन ।-
गवाह बन रही है दूरियां
तेरे मेरे मन के डोर की
के मिलन अभी आधा अधूरा है |-
होती है महसूस मुझे तेरी ज़रूरत रोज़ाना
खलती है कमी मुझे तेरी रोज़ाना
ना मिलने का समय तय है
ना बिछड़ने का
फिर भी इंतज़ार में तेरे हम सदिया बिता रहे है ।-
वियोग में तुम्हारे मैं मीरा सी हुई
इश्क़ में तुम्हारे राधा सी
कि प्रेम पाकर भी अधूरे ही रहें ।-