चला ये खामोशियों का दौर क्यों ,हम दोनों के दरमियां यू ।
जब इल्म है दोनों को ,ना बेवफा मैं हूं ना तू ।
यू काम ऐसा कर,के फैसले वक्त को करने दे ।
जब मोहब्बत है दोनों को ,तो गुनहगार ठहराना है किसी एक को क्यों ।
लगता है, दुआओं में ही मेरी , कसर रह गई कोई।
लगता है, दुआओं में ही मेरी , कसर रह गई कोई।
जो पूरी मेरी आखिरी ख्वाहिश भी ना हुई।
चला ये खामोशियों का दौर क्यों ,हम दोनों के दरमियां यू ।
जब इल्म है दोनों को ,ना बेवफा मैं हूं ना तू ।
सितम मुझ पर कर के, दर्द तुमको भी होता होगा ना ।
खामोशियां चुभती है जितनी मुझको, उतनी रुलाती तुमको भी होगी ना ।
शायद खबर है दोनों को इसकी कि, इस मर्ज की कोई दवा नहीं है।
बिछड़ जाना ही है किस्मत और किस्मतो , से हमारा कोई वास्ता नहीं है।
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