जब पिंजरे में थे तो आज़ाद होकर उड़ने का भूत सवार थाअब आज़ाद हो रहे हैं तो वही पिंजरा बार बार याद आ रहा है।। - Harsh gupta
जब पिंजरे में थे तो आज़ाद होकर उड़ने का भूत सवार थाअब आज़ाद हो रहे हैं तो वही पिंजरा बार बार याद आ रहा है।।
- Harsh gupta