वाणी संयम भुला दिया है...आज सियासतदानों ने,
राजनीति को घृणित किया है आजम जैसे खानों ने।
जो भी इनके...जी में आए... झट से ये बक देते हैं,
सारी गरिमा...और मर्यादा...पल भर में हर लेते हैं।
आखिर किसने जहर उगलने का इनको अधिकार दिया,
निरपराध... नारी को...ज़ालिम ने..जीते जी मार दिया।
भारत माँ को..." डायन " कहने वाले की हिम्मत देखो,
हैं विषदंत सलामत इसके...विषधर की किस्मत देखो।
त्रेता में रावण से लेकर...द्वापर युग तक...कंस हुए,
शुम्भ निशुम्भ और महिषासुर के सबके ही अंत हुए।
देर नहीं अब बहुत जल्द एक दिन ऐसा भी आएगा,
किसी राम के हाथों फिर एक रावण मारा जाएगा।
जनता रूपी आदि शक्ति दैत्यों को सबक सिखाएगी,
समय आ गया है..जनता इनको औकात दिखाएगी।
- हरि विश्नोई-
Hari Vishnoi
(हरि विशनोई)
145 Followers · 7 Following
Joined 6 February 2017
16 APR 2019 AT 6:25
15 NOV 2021 AT 13:38
दरियादिल
होते हैं कितने
पेड़ भी,
धूप सह कर
रंग देते हैं हमें ...-
30 OCT 2021 AT 9:05
प्रधानमंत्री जी,स्वच्छता को पाठ्यक्रमों में कृपया अनिवार्य कीजिए. निवेदक : क्लब-60,मेरठ
-
14 OCT 2021 AT 9:17
बिजली कितनी भी बने, रहती अधूरी
व्यर्थ अपव्यय रोकना बेहद जरूरी...
निवेदक: क्लब-60,टैगोर पार्क-
11 OCT 2021 AT 19:28
सांस का रुकना ही मर जाना नहीं है,
गंदगी भी मौत से कुछ कम नहीं है..
सुप्रभात. क्लब-60, टैगोर पार्क-
11 OCT 2021 AT 19:17
महंगी या मुश्किल नहीं है स्वच्छता..
बस जरूरी कोशिशें और कुछ पहल
सुप्रभात. क्लब-60, टैगोर पार्क-