किताबों में छपते हैं चाहत के किस्से,
हक़ीकत की दुनिया में चाहत नहीं है।
जमाने के बाजार में ये वो शय है,
के जिस की किसी को ज़रूरत नहीं है।
ये बेकार, बेदाम की चीज़ है।।
ये कुदरत के ईनाम की चीज़ है।
ये बस नाम ही नाम की चीज़ है।।
- @_Gyaan_Barabankvi
7 SEP 2019 AT 9:44