दोस्तानापन
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जनाब क दोस्ती को बहुत ऊंची अहमियत देते थे । उन्होंने कहा ---- " किसी को दबा कर रखना, चाहे दोस्ताना तरीके से ही सही, किसी को उसकी सलाहियत के मुताबिक न आंकना, किसी का तब ही दोस्त होना जब वह आपके साथ दोस्ताना सलूक करता हो, किसी के साथ ठंडा व्यवहार करना जब वह दिलकश हो, उसे दिलकश समझना, जब वह ठंडा हो, ये सब
असली दोस्ताना नहीं है ।
( जनाब कोएनर की कहानियां : बर्तोल्त ब्रेख्त)
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