Gourav  
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Joined 22 January 2018


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Joined 22 January 2018
14 JAN AT 3:03

वो जब पास थी
हर वक्त मेरे साथ थी
सर्द हवाओं में भी
उसकी मौजूदगी
एक गर्म एहसास थी
वो सिर्फ करीब नहीं थी
मेरे लिए बेहद ख़ास थी
जिस्म के भूखे नहीं थे हम
पर आंखों में हमारी
अजब सी प्यास थी
तब भी यादों में वो
इस कदर नहीं आती थी
बेख्याली में एकदम
आकर नहीं चौंकाती थी
अब की बारिश में
मिट्टी की खुशबू आने लगी है
कुछ गाने याद आ रहे हैं
होठों पर धुन आने लगी हैं
ये जो गालों से छूकर
निकली थी हवाएं

क्या एक सवाल था
चेहरे पर हंसी थी
आंखों में गम था
दिल में मलाल था
हां शायद ये एक ख्याल था ।।

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25 SEP 2022 AT 1:59

तुझे रोज़ याद करता हूं भूलने के बहाने मैं।
जवां उम्र थी ... गंवा दी तुझे अपना बनाने में।।

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22 FEB 2022 AT 0:43

So closer But
Never met each other
Still you know me
Like no one else

You touched my soul
Not me anyway
You might be far
But not so away

I am so beautiful
Never thought so
You write about me
Then i came to know..

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22 FEB 2022 AT 0:34

आंखों में काजल
चेहरे पर मुस्कुराहट
होठों पर तिल सजा रखा है
पूनम की रात में अंधेरा कैसे
क्या जुल्फों में महताब छुपा रखा है !!

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3 FEB 2022 AT 16:55


She wiped her tears
thought abt happy times
And again she tries..

Holding her emotions
Curbing her desires
Looking for him in skies..

She is alive
Holding her Breath
And yes,
With brave wings she flies..— % &

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17 DEC 2021 AT 21:57

बाहों में जब लेता है तो जैसे दिल पर दस्तक देता है
हौले से जब छूता है तो सब गम भुला देता है !!

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17 DEC 2021 AT 21:24


दो बच्चे
पेट से भूखे
दिल के सच्चे
भटक रहे हैं दर दर पे
भूखे इनके पेट
भूखी इनकी आत्मा
क्या किया तूने
इनके साथ परमात्मा

ये नन्हे हाथ
खिलौने को तरसते हैं
आंखों से इनकी आंसू
बे हिसाब बरसते हैं
उजड़ ना जाए ख्वाब इनके
इसलिए तो सोने से भी डरते हैं
हर चौक चौराहे, गाहे बेगाहे
आज भी ये बच्चें यूं ही भटकते हैं !

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12 DEC 2021 AT 13:13

मैने ’मैं’ से ये पूछा
की मुझ में क्या कम है
अपनों के बीच भी
तन्हाई लगती है
चेहरा हंसता है
पर दिल में क्यूं गम है

देख परिंदों को
मन संग उड़ जाता है
मैं हाथ थाम अपनों का
बस देखती रहती हूं

मैने ’मैं’ से ये पूछा
मैं अनजान भले ही
पर तू मुझको समझता
मैं तो पागल हूं पर
बंधन में तू क्यूं उलझता है

ले चल मुझे
ऐसी गली, मोहल्ले में
जहां इमली की टॉफी
और मीठी सी यादें लिए
मेरे दोस्त टहलते हैं
जिसे सोच सोच कर ही
मेरा मन मचलता है !!

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7 MAY 2021 AT 22:15

कड़वी थी शराब, पर पी ली
तो फ़िर जिंदगी से कैसा शिकवा..

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30 APR 2021 AT 23:40

मैं अपने गीत गजलों में
तुम्हें आबाद रखता हूँ

प्रेम क्या था
मुझको ना थी खबर बिल्कुल..
खो कर पाने का सबब जो तुमने सिखाया
तुमको मेरा नमन..

इसलिये तेरे हर एहसास को
अपनी रूह में आज़ाद रखता हूँ

मैं अपने गीत गजलों में
तुम्हें आबाद रखता हूँ

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