Girish Mishra   (गिरीश मिश्रा)
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लाचार है वो शख्स जो मोहब्ब्त में है
ऐसा मिले कोई तो उसे बाहों के दयार दें।
Joined 1 March 2019


लाचार है वो शख्स जो मोहब्ब्त में है
ऐसा मिले कोई तो उसे बाहों के दयार दें।
Joined 1 March 2019
18 JUL AT 9:23


फूलों को देखते रहे बगवां बाग के सभी
दरख्तों को भी देखा जाए दिखाया जाए।

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21 APR AT 22:53

तुमने प्रेम में इतना तो पा ही लिया है!!
तुम्हे दुनिया में सबसे जरूरी,
एक इंसान लगा।

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3 FEB AT 17:18

राहगीरों के पांव ना घिसते
सड़के मिट्टी हो जाती हैं
अग्नि में मरघट की सुन लो
हर निशानी खो जाती है
अमर निशानी प्यार है बस
मेरी कहानी प्यार है बस
ये जवानी प्यार है बस
रूह दीवानी प्यार है बस
जन्मों के फेरों में जब तक
तुझको ना पा लु मैं मेरा
इस धरा पर आना रहेगा।

मुझको भी मिलना था तुमसे
तुमको भी मिलना था मुझसे
यह हमारा आखिरी सपना रहेगा।

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22 SEP 2024 AT 22:03

आंखों का सहारा लेकर
याद पानी बन जाती है
वो पानी फिर सूख जाता है
रोज कोई याद कहां आता है
याद यदि निरंतर आती
आंखों से नदियां लाती
इतने वेग में कहां कुछ दिख पाता है
प्रेम में मनुष्य तब अंधा हो जाता है!!!!

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22 SEP 2024 AT 21:35

मैं रुका रहा वहीं रास्ते पर बहुत देर तक
दोपहर से शाम शाम हो गई थी
रात होने से पहले याद आया मुझे
तुम अपने खातिर जुदा हुए मुझसे
तुमने मेरा हाल कब पूछा और फिर
मैं भी चल तुम्हे वही छोड़कर !!!!!

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3 SEP 2024 AT 21:25

मनुष्य की रचना एक याद से हुई है
यादें गढ़ गढ़ कर बुद्धि विकसित हुई
बुद्धि से समझ बन गई और
समझ से बन गए संस्कार
हम संस्कार बांटते रहे हैं बस
किंतु घटनाए कोई कैसे बांटे
मनुष्य मरते रहे इसी अफसोस में
और हुआ ये की मौत से पहले
याददाश्त गई और याद बस यहीं तक रही..!!

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3 SEP 2024 AT 10:10

प्रेम से बढ़कर छल क्या होगा
तर्कों को तर्कों से कौन जीत पाया है
दुनिया बनाने वाले ने क्या ढोंग रचा
दिखाया गया कि एक व्यक्ति दुनिया से बढ़कर है
वे कर पाए कि वे ईश्वर थे,हम इंसान हैं
हम प्रेम नहीं कर सकते...!!!!

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2 SEP 2024 AT 21:17

किसी दिन होगा ऐसा
कि आकाश चांद से
वो सब बातें कहेगा
मुझसे कभी जो
कहा नहीं है तुमने

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2 SEP 2024 AT 20:56

मुझे दिशाओं का ज्ञान नहीं हैं,
जिस दिशा से तुम आई,
कोई दूसरा संसार हो शायद उधर,
किंतु तुम इसी संसार में खो गई,
और मैं उस संसार में,
जहां से तुम आई थी...!!!

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2 SEP 2024 AT 20:35

मन को एक सा दुःख कभी नहीं भाता,
एक जैसा दुःख धीरे धीरे खुशी देने लगता है,
उदासिया पैदा नहीं होती उसके कारण होते हैं,
संसार भी एक कारण ही है,
कर्म मृत्यु तक ले जाता है,
सांसे भी मृत्यु तक ही रहेंगी,
किंतु याद कब तक रहेगी...??

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