Gaurow Gupta  
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Joined 14 December 2016


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Joined 14 December 2016
8 MAR 2019 AT 21:06

स्त्री वह संज्ञा है, जिसे किसी विशेषण की जरूरत नही।

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12 DEC 2018 AT 14:35

कोई मेरे काँधे पर सिर रख कर भूल गया है,
नींद में भी , अब मैं करवट नही लेता.......

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7 FEB 2019 AT 22:54

वैलेंटाइन वीक में एक दिन "चाय" का भी तो रख लेते..

#कमबख्त दुनिया
#tea_day

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25 DEC 2018 AT 8:43

कुछ चीजे कितनी सुखद होती है, जैसे धीमे से किसी का नाम भर पुकार लेना।

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8 MAY 2018 AT 14:57



एक कवि के
अंतिम इच्छा के रूप में
मैं ईश्वर से यही माँगता हूँ

जैसे जीवन माँ के गोद मे मिला है,
वैसे ही मौत भी प्रेमिका के गोद में आये..

इन दोनों क्षणों में
यह मन प्रेम के बहुत करीब होता है
और बिना प्रेम से भरे दिल का
धड़कना बन्द हो जाना
एक कवि को शोभा नही देता।

~गौरव गुप्ता

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29 APR 2018 AT 12:50

प्रेम में उदासी कविता को जन्म देती है/और कविता पुनः प्रेम को..

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27 APR 2018 AT 11:35

तुम्हारे माथे पर उभर आयी है जो
दुखों की लकीर
मेरे होठ अगर रबर होते तो
मिटा देता झट से,
उंगलियां अगर पेंसिल होती तो
लिख देता "सबकुछ ठीक हो जायेगा"
लिख कर क्रमवार सारे सुख
सफेद कागज पर
भर देता तुम्हारी दोनों जेबें
और यह समय ढलता रहता
जैसे धीरे-धीरे ढ़लता है,
लाल सूरज, पहाड़ो के बीच
"अंधेरा कब आया?" की खबर नही होती
ठीक वैसे ही
"एक दिन हमें बिछड़ना हैं" का सच
लिये निकल जाता धीरे धीरे मैं
और तुम अपनी जेबों से निकाल
पढ़ रही होती
एक सुख के बाद , दूसरा सुख।

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14 APR 2018 AT 20:06

किसी अखबार के कतरन में
जब पढ़ेगी मेरी बेटी
आसिफा की कहानी
और पूछेगी उन गुनाहगारों के बारे में
तो मैं उस छोटी बच्ची से आँख नही मिला पाऊँगा

शर्म से झुक जायेगा
मेरा माथा
जब मैं कहूँगा की
वो पुरुष थे
जिनकी नाखूनों में दरिंदगी थी

क्या वो उसी वक़्त मेरे नाखूनों को निहारकर
आश्वस्त नही हो लेना चाहेगी?

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9 APR 2018 AT 22:05



Bahut kuch sunna hain
Bahut kuch btana hain
Mila jo khwab se abhi abhi
Manjil tak use pahunchana hain

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25 MAR 2018 AT 11:41

कविता,बच्चे की तरह होती है/
भीड़ में दोनों को खो जाने का डर होता हैं।

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