बीते कुछ सालों मैं अगर सच मे पृथ्वी दिवस मनाया होता हमने।
तोह आज यूँ ऑक्सीजन के लिए न तरसने देती ये पृथ्वी।।
Happy earth day
Always put mask on your face and give trees some space.....-
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वो अबतक सवालो मैं उलझे है,
और दुनिया दूसरी बार खत्म होने को तैयार है।।।-
इस साल की बजट मैं मुझे तो बस तुझे कमाना है,
बस तेरी आँसूओ का घाटा कर
खुशियोँ का लाभ पाना है।-
चार भूखो को जो खिलाया
मसीहा क्या होता ईष्वर ने बताया।
मुस्कुरा दिया कोई भूखा तेरे एक कर्म से
मानो सौ मंदिरो मैं एक साथ दिया जलाया।।।-
बीच भवर फंसा सा मैं किसकी सुनु किससे कहूं,
राहो का कुछ पता नही बस यूँही चल पड़ा सा हूँ ,
बिना वजूद के धाराओं मे बस यूँ ही बहा सा हूँ ,
बीच समंदर एक टापू सा अकेला खुद को जिया सा हूँ।
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बीते गमो को अब
मैं बीते साल ही छोड़ जाऊंगा
खुशियों के दरवाजे को
अब जोर से थपथपाउंगा।
तेरी हर तस्वीर,
तेरी यादों,
तेरी बातों,
हर उस पल को
एक मीठी दर्द समझ
किसी कब्ररिस्तान मैं दफना आऊँगा।
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इस नई धूप की चाशनी मैं उसने अपने पैर निकाले ही थे।
की संप्रदाय,हिंसा,धर्म की राजनीति ने उसे बहरा बना दिया।-
एक बात तुम्हे बतानी है
अब शाम की चाय फीकी
हँसी मैं मेरी मुस्कान झुठी
किनारो पर वो झनक सब अनचाही है
एक बात तुम्हे बतानी है,
तेरा दूर होना कुछ ऐसा खल गया,
मानो दिल के बर्फ़ीले चटान पिघल गया,
आँसुओ की बाढ़ अब हर रोज पलको को भीगाती है,
ख्वाब देखना भी अब बचकानी है,
एक बात तुम्हे बतानी है।
ये दौर अब नया सा है
पर उम्मीदों की आस पुरानी है,
जानता हूँ तू न लौटेगी अब
पर तेरी यादो की तस्वीर से ही जिन्दगी गुजारनी है।
एक बात तुम्हे बतानी है।।।।।।
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