Gaurav Kamlamani Prajapat  
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Joined 9 September 2017


Joined 9 September 2017
3 APR 2021 AT 22:57

अबीर, चंदन, गुलाल-सा है जीवन
मोह-मधु , लोभ-लालसा है जीवन

कब तक खामोश रहोगे रे ऐ बाबू...
सपने कंधे पर टंगे बेताल-सा है जीवन

कब तक बचोगे रे भला तुम, ऐ बाबू...
शिकारियों के बिछाए जाल-सा है जीवन

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1 SEP 2020 AT 23:09

जब खुद ही बेरोजगार हो तो
एक दस हजारी को भी महान कहना पड़ता है

मुल्क के हालात कुछ यूँ है कि
नेता गाली दे, तो भी बयान कहना पड़ता है

सच है कि जब ऊपरवाला मेहरबान हो तो
गधे को भी पहलवान कहना पड़ता है

सफेदपोश में जब जिंदादिली न दिखाई जाए
तो फिर संसद को भी शमशान कहना पड़ता है

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29 AUG 2020 AT 15:47

मेरे अंदर ही समंदर भरा पड़ा है
और मैं होठों पर जाम लिये फिरता हूँ

है ये दुनिया नफरतों का इक शहर
और मैं मोहब्बत का पैगाम लिये फिरता हूँ

बट चुके हैं सभी अपनी-अपनी कौमों में
और मैं कौमी एकता का नाम लिये फिरता हूँ

सच मिट चुका, गवाह बिक चुके है अब यहाँ
तो खुद पर ही हर गुनाह का इल्जाम लिये फिरता हूँ

यह मैं नहीं हूँ , मेरी फकीरी है
जिसे मैं सुबह-शाम लिये फिरता हूँ

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22 AUG 2020 AT 20:56

"अकेलापन" तो तुमसे पहले भी था
मगर तुम्हारे बाद जो है
वो है-
"खालीपन"

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20 AUG 2020 AT 20:59

साथ थे कभी तो ऐसे थे, जैसे खुशबू और गुलाब की तरह
अब जुदा हुए है तो ऐसे है, जैसे पानी और आग की तरह

मगर दिल मेरा आज भी जैसे कोई कंचनी-सा चंदन है
जहाँ तुम्हारी यादें रोज लिपटी रहती है नाग की तरह

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20 AUG 2020 AT 18:22

साथ थे कभी तो ऐसे थे, जैसे खुशबू और गुलाब की तरह
अब जुदा हुए है तो ऐसे है, जैसे पानी और आग की तरह

मगर दिल मेरा आज भी जैसे कोई कंचनी-सा चंदन है
जहाँ तुम्हारी यादें रोज लिपटी रहती है नाग की तरह

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12 AUG 2020 AT 20:39

कन्हैया, मेरी प्रेम-कहानी आज भी कुछ अधूरी है
ना साथ में राधा है अब ना होठों पर कोई बाँसुरी है
मगर जब चाहा ही है राधा को कन्हैया बनकर
फिर ताउम्र यमुना किनारे इंतजार करना जरूरी है

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11 AUG 2020 AT 19:50

राहत इंदौरी
ग़ज़ल के कहन का अपना ऐसा अंदाज की एक-एक लफ्ज़ को अपने हाव-भाव में ढालकर जीवंत कर देने वाला शायर (इस युग का 3D शायर)

सरल शब्दों में गहरी बात कहने का हुनर रखने वाला, ग़ज़ल का हरफनमौला
राहत इंदौरी कोई आदमी नहीं बल्कि हिंदी-उर्दू ग़ज़ल के चलते-फिरते विश्वविद्यालय रहे हैं

मुझे एक बार इनके सामने बैठकर इनको सुनने का सौभाग्य मिला है

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11 JUL 2020 AT 16:18

है कौन जहाँ में, जो मोहब्बत से बड़ी दौलत कमा सका है
आँख हो या दिल हो, दोनों में एक ही चेहरा समा सका है
लगे हैं खैर अब सभी उसी चेहरे को भूल जाने की कोशिश में
मगर ये सब कोशिशें नाकाम है, भला कौन किसे भुला सका है

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30 JUN 2020 AT 18:46

कहो कि कैसे झूठ बोलना सीखूँ और सिखलाऊँ ?
कहो कि अच्छा-ही-अच्छा सब कुछ कैसे दिखलाऊँ ?
कहो कि कैसे सरकंडे से स्वर्ण - किरण लिख लाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मैं कैसे अमरित बरसाऊँ ?

- बाबा नागार्जुन

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