विनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होय न प्रीति।
जड़ समुद्र विनम्रता से नहीं मानता ।राम क्रोध करके कहते हैं कि भय के बगैर प्रेम नहीं हो सकता।- Gypsy talks
12 MAR 2019 AT 21:21
विनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होय न प्रीति।
जड़ समुद्र विनम्रता से नहीं मानता ।राम क्रोध करके कहते हैं कि भय के बगैर प्रेम नहीं हो सकता।- Gypsy talks