कोई नहीं तो ना सही, मैं हूं यहां काफी है
क्यूं इंतज़ार किसी का करना गुफ्तगू लिए
एक आवाज़ है मेरे अंदर, वह काफी है
चार बातें ही तो हैं, खुद से कर लेंगे
ये जो अक्स है आइने में, काफी है।
वजह बेवजह क्यूं रंजिशें लेनी
ये जो सुकून है ख़ुद में, काफी है
किसी दौड़ में जीतना हारना नहीं
यह ज़िन्दगी इस तरह ही काफी है
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