आते हैं निदों में मेरे।
कुछ कर दिखाने की उमिद है
और दिल में वह जज़्बा।
सच तो यह है कि
नींद तो आजकल आती ही नहीं
सोने को जी करता ही नहीं।
सांझ सवेरे यूं ही मगन
क्यूंकि मुझे चूमना है एक दिन गगन।-
10 DEC 2020 AT 19:51
आते हैं निदों में मेरे।
कुछ कर दिखाने की उमिद है
और दिल में वह जज़्बा।
सच तो यह है कि
नींद तो आजकल आती ही नहीं
सोने को जी करता ही नहीं।
सांझ सवेरे यूं ही मगन
क्यूंकि मुझे चूमना है एक दिन गगन।-