5 AUG 2019 AT 7:34

नरत्वं दुर्लभं लोके विद्या तत्र सु दुर्लभा।
कवित्वं दुर्लभं तत्र शक्तिस्तत्र सु दुर्लभा।।

अर्थात् - मानव योनी में जन्म पाना दुर्लभ है मानव होते हुए विद्वान या विद्या की प्राप्ति होना भी दुर्लभ है ।कवि होना तो ओर भी दुर्लभ है कवि होने पर भी लोक प्रसिद्धि पाना दुर्लभ है।

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